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Makar Sankranti | मकर संक्रांति 2025: तिल-गुड़, पतंगबाजी और सूर्य उपासना का पवित्र पर्व

Makar Sankranti मकर संक्रांति 2025 तिल-गुड़, पतंगबाजी और सूर्य उपासना का पवित्र पर्व-compressed

तारीख: 14 जनवरी 2025

मकर संक्रांति भारत के सबसे पवित्र और प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। मकर संक्रांति को नई ऊर्जा, फसल कटाई, और शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति(Makar Sankranti) 2025 की तारीख

मकर संक्रांति 2025 में 14 जनवरी को मनाई जाएगी।
इस दिन सूर्य मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करता है, जिसे संक्रांति कहा जाता है।
यह खगोलीय घटना हिंदू पंचांग के अनुसार शुभ मानी जाती है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण (उत्तर की ओर गति) हो जाता है, जो लंबे और गर्म दिनों की शुरुआत का संकेत है।

मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?

मकर संक्रांति मुख्यतः सूर्य देवता की पूजा और फसल कटाई के उत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस त्योहार के पीछे कई आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कारण जुड़े हुए हैं:

  1. सूर्य की उत्तरायण यात्रा:
    मकर संक्रांति से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है, जिसका अर्थ है कि दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इसे शुभ माना जाता है क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत का प्रतीक है।
  2. फसल कटाई का पर्व:
    यह त्योहार नई फसल के स्वागत का पर्व है। किसान अपनी मेहनत के फल का आनंद लेते हैं और इस दिन प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
  3. पौराणिक महत्व:
    हिंदू मान्यताओं के अनुसार, महाभारत काल में भीष्म पितामह ने उत्तरायण के दिन स्वेच्छा से प्राण त्यागे थे। इस दिन को शुभ और मोक्ष प्राप्ति का समय माना जाता है।
  4. दान-पुण्य का महत्व:
    मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। तिल, गुड़, कपड़े, और अन्न का दान किया जाता है।



मकर संक्रांति परंपराएं और रीति-रिवाज

  1. तिल-गुड़ खाने की परंपरा:
    इस दिन तिल और गुड़ से बने व्यंजन जैसे लड्डू और चिक्की खाई जाती हैं। कहा जाता है कि यह परंपरा रिश्तों में मिठास और गर्मजोशी बढ़ाने का प्रतीक है।
  2. पतंगबाजी का उत्साह:
    मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा बेहद प्रचलित है। राजस्थान, गुजरात, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है।
  3. गंगा स्नान और दान-पुण्य:
    इस दिन पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, और गोदावरी में स्नान करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही तिल, गुड़, और अनाज का दान करने की परंपरा भी है।
  4. क्षेत्रीय उत्सव:
    • पोंगल (तमिलनाडु): दक्षिण भारत में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जहां नई फसल का स्वागत होता है।
    • लोहड़ी (पंजाब): फसल कटाई का यह पर्व पंजाब और हरियाणा में धूमधाम से मनाया जाता है।
    • खिचड़ी पर्व (उत्तर भारत): उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रांति पर खिचड़ी पकाने और खाने की परंपरा है।



मकर संक्रांति का आध्यात्मिक महत्व

मकर संक्रांति को मोक्ष प्राप्ति का दिन माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने और दान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। उत्तरायण के समय को भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

कैसे मनाएं मकर संक्रांति 2025?

  1. तिल-गुड़ बांटें और खाएं:
    अपने परिवार और दोस्तों के साथ तिल-गुड़ के लड्डू बनाएं और आपस में बांटें।
  2. पतंग उड़ाने का आनंद लें:
    पतंगबाजी का आयोजन करें और अपने आसमान को रंगों से भर दें।
  3. दान-पुण्य करें:
    जरूरतमंद लोगों को तिल, गुड़, कपड़े और भोजन दान करें।
  4. गंगा स्नान करें:
    अगर संभव हो, तो पवित्र नदियों में स्नान करें।

निष्कर्ष

मकर संक्रांति सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि नई शुरुआत, सकारात्मक ऊर्जा, और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है। यह दिन हमें अपने रिश्तों को मजबूत करने और समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद करने की प्रेरणा देता है।


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