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श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी भजन लिरिक्स हिंदी में: अर्थ, महत्व और भक्ति गीत की पूरी जानकारी

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी भजन भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और भक्ति का एक अद्भुत उदाहरण है। इस भजन को सुनने मात्र से ही मन को शांति और भक्ति की अनुभूति होती है। इस Post में हम आपको इस भजन के सम्पूर्ण लिरिक्स, इसका अर्थ, और इसके महत्व के बारे में जानकारी देंगे।

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी भजन लिरिक्स हिंदी में

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण…॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण…॥
॥ श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी…॥

बंदी गृह के, तुम अवतारी
कही जन्मे, कही पले मुरारी
किसी के जाये, किसी के कहाये
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
गोकुल में चमके, मथुरा के तारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥



श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

अधर पे बंशी, ह्रदय में राधे
बट गए दोनों में, आधे आधे
हे राधा नागर, हे भक्त वत्सल
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
वही गए वही, गए वही गए
जहाँ गए पुकारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

गीता में उपदेश सुनाया
धर्म युद्ध को धर्म बताया
कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा
यह सन्देश तुम्ही से पाया
अमर है गीता के बोल सारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देवा
॥ श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी…॥

राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा ॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा ॥

हरी बोल, हरी बोल,
हरी बोल, हरी बोल ॥

राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा ॥

भजन का अर्थ

यह भजन भगवान श्रीकृष्ण, वासुदेव, और नारायण के विभिन्न रूपों की स्तुति करता है। इसमें भगवान के चार नामों का गुणगान किया जाता है — श्रीकृष्ण, गोविंद, मुरारी और वासुदेव। “मुरारी” का अर्थ है वह जिसने असुर मुर को मारा, और “वासुदेव” का तात्पर्य वसुदेव के पुत्र, श्रीकृष्ण से है।

यह भजन भक्तों को भगवान के प्रति समर्पण की प्रेरणा देता है और उनकी कृपा प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। यह भजन गाकर भक्त भगवान से उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं और अपने जीवन में शांति और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।


श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी भजन का महत्व

इस भजन का महत्व बहुत गहरा है, खासकर श्रीकृष्ण भक्तों के बीच। जब हम इस भजन को गाते या सुनते हैं, तो यह हमें भगवान के दिव्य स्वरूप से जोड़ता है। यह भजन हमें निम्नलिखित तरीकों से लाभ पहुंचाता है:

  1. मन की शांति: इस भजन के माध्यम से भक्त अपने मन को शांत कर सकते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त कर सकते हैं।
  2. भक्ति का संदेश: यह भजन भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का संदेश देता है और भक्तों को भगवान के प्रति समर्पित होने की प्रेरणा प्रदान करता है।
  3. कर्म का महत्व: श्रीकृष्ण का जीवन और उनकी शिक्षाएँ हमें कर्म का महत्व बताती हैं, और यह भजन हमें उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा देता है।
  4. ध्यान का माध्यम: इस भजन का उच्चारण ध्यान और साधना में मदद करता है, जिससे व्यक्ति मानसिक रूप से अधिक स्थिर और शांत हो जाता है।

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी भजन भक्तों के लिए एक अद्भुत साधन है जिससे वे भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ सकते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यह भजन हमें हमारे जीवन में शांति, समर्पण और भक्ति का मार्ग दिखाता है।

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