नाग पंचमी हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या साँप की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से नाग देवता की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस रुद्र अभिषेक पूजा करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। विशेष रूप से इस दिन घरों और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
नाग पंचमी तारीख और पूजा का समय
इस वर्ष नाग पंचमी का त्यौहार 9 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जायेगा । नाग पंचमी के दिन पूजा का सही समय शाम 5:47 बजे से रात 8:27 बजे तक है। इस शुभ समय में पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होगा है। इस समय को शुभ मुहूर्त माना जाता है, जब आकाश में सकारात्मक ऊर्जा और दिव्य शक्तियां सक्रिय होती हैं। श्रद्धालु अपने घरों और मंदिरों में दीप जलाते हैं, नाग देवता की प्रतिमा को दूध से स्नान कराते हैं, और नाग पंचमी की कथा सुनते है।
नाग पंचमी कथा: 1
एक नाग पंचमी की कथा भगवान श्रीकृष्ण के बचपन से जुड़ी है। जिसके अनुसार एक बार जब श्रीकृष्ण अपने दोस्तों के साथ यमुना नदी के किनारे खेल रहे थे, तो उनकी गेंद नदी में चली गई। श्रीकृष्ण गेंद निकालने के लिए नदी में गए, जहां कालिया नाग ने उन पर हमला कर दिया। श्रीकृष्ण ने कालिया नाग से युद्ध किया और उसे पराजित कर दिया। कालिया नाग ने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी, और श्रीकृष्ण ने उसे माफ कर दिया। इस दिन की याद में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है, जिसमें नागों की पूजा की जाती है और उन्हें दूध अर्पित किया जाता है।
नाग पंचमी कथा: 2
एक अन्य कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक किसान और उसकी पत्नी अपने दो बेटों और एक बेटी के साथ रहते थे। एक दिन खेत जोतते समय उनके हल से नाग के तीन बच्चे मर गए। नागिन अपने बच्चों की मृत्यु से दुखी हो गई और उसने बदला लेने की ठान ली। उसने किसान, उसकी पत्नी, और उसके दो बेटों को डस लिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। जब नागिन किसान की बेटी को डसने गई, तो उसने नागिन की पूजा की और उसे दूध अर्पित किया। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर नागिन ने उसे और उसके परिवार को जीवनदान दे दिया। तब से नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है, जिसमें नाग देवता की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी कथा: 3
एक अन्य कथा के अनुसार पौराणिक काल में जनमेजय नाम के राजा ने नागों के विनाश के लिए एक सर्प यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में अनेक नाग जलकर मरने लगे। इस यज्ञ से भयभीत होकर नागों के राजा वासुकी और अन्य नाग देवताओं ने इंद्र से सहायता मांगी। इंद्र ने जनमेजय को रोकने के लिए मुनि आस्तिक को भेजा। आस्तिक ने जनमेजय को यज्ञ रोकने के लिए मनाया और नागों की जान बचाई। इसके बाद से नाग पंचमी का पर्व मनाया जाने लगा, जिसमें नाग देवताओं की पूजा कर उन्हें दूध अर्पित किया जाता है।
इस कथा के माध्यम से यह संदेश मिलता है कि प्रकृति के हर जीव का सम्मान और संरक्षण आवश्यक है।
| हर हर महादेव |
Also Read: नए तरीके से श्री कृष्ण की पूजा